5 Famous Suryakant Tripathi Nirala Poems in Hindi : दोस्तों आज हमने सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की 5 सर्वश्रेस्ट कवितायें लिखि है| यह प्राचीन समय के महशूर छायावाद कवियों में से एक थे| इनकी कवितायें आज भी लोग सुन ना पसंद करते हैं| आइये इनकी मुख्य रचनाओं पर नज़र डालते हैं|
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5 Famous Suryakant Tripathi Nirala Poems in Hindi
इकतालीस
निशा का है यह स्पर्श बहुत शीतल,
भर रहा है इसमें हर्ष उत्कल,
है यह तारकाओं कि विभा से स्नात,
आलियो की है कुंद कलीका गात,
हिल रहा है श्वेत अब उच्चाल शांत,
पवह से अज्ञात प्रतिपल आज,
चंद्र प्रिय मुख से लगे हैं नयन,
शिखर शेखर भवन पर है अब शयन,
वायु व्याकुल कर रही है अब चयन,
अलक उपदन गन्ध अन्ध चपल,
शिखर के पद पर है प्रखर जल धार,
अब बह रहे है सरित सुस्त विचार,
प्राणियों के ह्रदय पर है हार,
शब्द-सुमनो के अमल छल दल|
गीत गाने दो
गीत गाने दो मुझे अब तो,
वेदना को रोकने दो,
चोट खाकर है राह चलते,
होश के भी होश छोटे,
हाथ जो हम पाथेय थे,
ठग-ठाकुरों ने रात लुटे,
अब तो कंठ रुकता जा रहा है,
आ रहा है चला काल देखो,
भर गया है अब जहर से,
संसार जैसा हार खाकर,
देखो ज़रा लोगो को,
सही परिचय न पाकर,
बुझ गई है लौ पृथा की,
जल उठो फिर सींचने दो|
मेरा पहला प्यार
मेरा पहला प्यार हो तुम,
मेरे लिए साहित्य की देन हो तुम,
हृदय की अनुभूति का,
संस्कार बन गए हो,
वास्तव में,
जीवन प्राण बन गए हो तुम,
मैं हूँ जूही की कली तुम्हारी,
वर दे वीणावादिनी में,
सरस्वती मां से करती हूं रोज,
पुकार तुम्हारी,
काव्यों को छंदों से मुक्त कर,
मुझे प्रेम के छंदों से लपेट दिया है अब तो तुमने,
हां वास्तव में तुमसे निश्चल प्रेम किया है हमने||
श्रृंगार
श्रृंगार, रहा जो सदैव निराकार,
रस कविता में उच्छ्वसित-धार,
गाय स्वर्गीय है प्रिय संग,
भरता है प्राणो में राग रंग,
रति रूप है प्राप्त कर रहा वही,
आकाश बदल कर बना मही,
हो गया बिया आत्मीय स्वजन का,
कोई थे नहीं, न आमंत्रण,
था भेजा गया विवाह राग,
भर रहा न घर निशि दिवस जाग से,
प्रिय में एक संगीत भरा,
नव जीवन के स्वर पर उतरा|
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