Biography of Bhishma Pitamah in Hindi – महाभारत का सबसे महान योद्धा

Biography of Bhishma Pitamah in Hindi

Biography of Bhishma Pitamah in Hindi

आज हम आपके लिए हमारी पोस्ट Biography of Bhishma Pitamah in Hindi में एक ऐसे महारथी की कहानी लाये है जिसने सदियों पूर्व महाभारत के युद्ध में एक एहम भूमकि अदा की दोस्तों इस पोस्ट के माध्यम से आप को महान पराक्रमी योद्धा गंगा पुत्र भीष्म के जीवन के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देने जा रहे है उन्होके जीवन की सुनी-अनसुनी बाते जो शायद ही आप सभी को पता हो ऐसी तमाम जानकारी इस पोस्ट में आप को देखने को मिलेगी। 

Biography of Bhishma Pitamah in Hindi – महाभारत का सबसे महान योद्धा

महाभारत के पराक्रमी योद्धा भीष्म पितामह का जन्म “माध महा” के “कृष्ण पक्ष नवमी” के दिन हस्तिनापुर में एक कुरु परिवार में हुआ था भीष्म के पिता का नाम शांतनु था वे माता का नाम गंगा था भीष्म के बचपन का नाम देवव्रत था भीष्म के पिता “महाराज शांतनु” के कुल पुत्र थे जिसमे से सात को गंगा माँ ने नदी में बहा दिया था क्यूकी जब महाराज शांतनु ने गंगा से विवहा रचाया तो उन्हो की एक शर्त थी की वे जो भी करेगी उसमे शांतनु न बोले और उन्होंने अपना वचन निभाया भी लेकिन माँ गंगा ने शांतनु के कुल सात पुत्र को गंगा में बहा दिया था जब वे आठवे पुत्र को बहाने गई तो महाराज शांतनु ने उन्होको रोक दिया और अपने पुत्र को बचा लिया लेकिन एक तरफ उन्होंने अपना वचन तोड़ चुके थे तभी माँ गंगा उन्होको छोड़ बच्चे को साथ लेकर चली गई| 

महाराज शांतनु काफी सालो से गंगा तट पर आते और रोज प्रतीक्षा करते एक दिन जब वे आखेट के लिए निकले तो उन्होको गंगा तट पर एक दिव्ये बालक दिखा जो अपनी अस्त्र विध्या के माध्यम से गंगा के प्रभाव को रोक रखा था महाराज शांतनु उस बालक से मिलने को व्याकुल हो चुके थे तभी माँ गंगा वहा आई और महाराज शांतनु को उस बालक के बारे में बताया की ये आप का वही पुत्र है जिसे में अपने साथ ले गई थी आज में इसे आपको सोपती हूँ इस का नाम “देवव्रत” है ये सभी विध्या वेदो और अस्त्र शस्त्रों का ज्ञाता है इस के गुरु

भगवान् परशुराम”है ये सुनते है महाराज शांतनु ख़ुशी से भावुक हो गए और देवव्रत को अपने साथ हस्तिनापुर ले आये और उसे हस्तिनापुर का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। 

भीष्म पितामह कौरव थे उन्होंने महाभारत के इस विशाल युद्ध में कोरवो की और से युद्ध लड़ा था वो अकेले ऐसे एक महान योद्धा थे जिसका सामना शायद ही उस युद्ध में कोई कर पा रहा था वे अकेले ही प्रति दिन पांडव सेना के लाखो योद्धाओ को मौत के घाट उतार देते थे उन्होके पराक्रम से लगभग सभी सोच में पद गए थे स्वयं श्री कृष्ण भी क्यूकी वो अकेले ऐसे महान योद्धा थे जो दिन प्रति दिन पाडवो के ऊपर वे उन्होकी सेना पर भारी पड़ते जा रहे थी इन्होकी की इस वीरता और पराक्रम से ही आप अनुमान लगा सकते है की वे कितने महान योद्धा थे जिसके राण भूमि में कदम मात्र से ही लोगो के गले सुख जाया करते थे

Bhishma Prtigya – “देवव्रत की भीषण प्रतिज्ञा”

दोस्तों भीष्म पितामह के पिता शांतनु एक मछवारे की पुत्री पर मोहित हो चुके थे जिसका नाम सत्यवती था वे उससे विवहा करना चाहते थे इसलिए वे उन्होके पिता “दाक्षराज” के पास विवहा का प्रस्ताव लेकर चले गए और उन्होके पिता ने विवहा से इंकार कर दिया क्यूकी वे चाहते थे की रानी सत्यवती से जो पुत्र हो वही उत्तराधिकारी बने लेकिन भीष्म को मध्यनजर रखते हुए की जब तक वे है तब तक ये संभव नहीं है और ये बात सुनकर महाराज शांतनु वहां से वापस आगए। 

दिन निकलते गए और महाराज की तबियत नासाज हो रही थी वे सोच के गहरे सागर में डूबते जा रहे थे लेकिन जब उन्होके पुत्र भीष्म को इस बात का पता चला तो वे माता सत्यवती के पिता के पास पहोच गए वहां उन्होंने ये प्रस्ताव रखा की माता सत्यवती को में अपने पिता महाराज के लिए मांगता हूँ तभी सत्यवती के पिता ने कहा की तुम हस्तिनापुर के उत्तराधिकारी हो तो रानी सत्यवती के जो पुत्र होंगे उनहोका क्या होगा तभी भीष्म बोले में आपकी दुविधा समझ गया हूँ महाराज में आप की इस दुःख का अभी यही निवारण कर देता हूँ तभी देवव्रत ने “दाक्षराज को वचन दिया”की महारानी सत्यवती से जो संतान होगी वही हस्तिनापुर के राज सिंघासन का उत्तराधिकारी होगा लेकिन दक्षराज इस से संतुष्ट नहीं थे उन्हने कहा ठीक है लेकिन इस का क्या प्रमाण है की जो तुम्हारी संतान होगी वे उत्तराधकारी होने का दावा नहीं करेगी तभी भीष्म पितामह ने दाक्षराज को कहा में आप की इस दुविधा का भी निवारण कर देता हूँ की आज में ये “प्रतिज्ञा”करता हूँ की आज के बाद में कभी भी विवहा नहीं करूंगा वंशहीन ही जीऊंगा और वंशहीन ही मरूंगा और हस्तिनापुर की राज गद्दी और राजा के प्रति हमेशा समर्पित रहूंगा जब तक में हस्तिनापुर को चारो तरफ से सुरक्षित नहीं देख लेता में अपने प्राण नहीं

त्यागूंगा इसी भीषण प्रतिज्ञा से उनहोका नाम देवव्रत से “भीष्म” पड़ गया|

हम उम्मीद करते हैं दोस्तों आपको हमारा पोस्ट Biography of Bhishma Pitamah in Hindi पढ़कर मज़ा आ रहा होगा|

Story of Bhishma from Devavrat – “देवव्रत से कैसे बने भीष्म

दोस्तों भीष्म पितामह का नाम देवव्रत था ये नाम उन्होको उन्होकी की माँ गंगा ने दिया था देवव्रत एक महान योद्धा था देवव्रत के पिता महाराज शांतनु रानी सत्यवती से विवहा करना चाहते थे लेकिन उन्होके पिता नहीं माने तभी भीष्म अर्थात देवव्रत उन्होके पिता के पास गए और उन्होके सभी संकोच का निवारण करते हुए देवव्रत ने एक भीषण प्रतिज्ञा की थी जिससे वे माता सत्यवती को अपने पिता महाराज के लिए हस्तिनापुर ले गये महाराज शांतनु ने जब इस भीषण प्रतिज्ञा के बारे में सूना तो वे संकोच में पड़ गए की पुत्र तुमने ऐसा क्यों किया देवव्रत बोले की पिता महाराज आप की ख़ुशी में ही मेरी ख़ुशी है तभी महाराज शांतनु अत्यधिक प्रसन्न होकर बोले की पुत्र आज तुमने मुझे ख़ुशी के उस गहरे सागर में डुबो दिया है जिससे शायद ही में कभी निकल पाउ तुमने मात्र मेरी ख़ुशी के लिए अपने सभी सुखो को पल भर में त्याग दिया आज तुमने जो किया है कदाचित ऐसा आज के बाद कोई करे इसलिए आज में महाराज शांतनु सुख दुःख के इस चोरहाय पर खड़ा चारो दिशाओ को साक्षी मान कर तुम्हेइच्छामृत्यु का वरदान”  देताहूँ की तुम जब तक मृत्यु का आवहान नहीं करोगे तब तक मौत तुम्हारे करीब भी नहीं आएगी तुम अपनी इच्छा के अनुसार जी सकते हो और सदा ही तुमको भीष्म के नाम से युगो युगो तक याद किया जाएगा। 

Cause of Death of Bhishma in Hindi

महाभारत में महाराज शांतनु वे माता सत्यवती के दो पुत्र थे “चिंत्रांगद” और ‘विचित्रवीर्य” जिसमे से चिंत्रांगद बड़े थे वे विचित्रवीर्य छोटे थे बड़े भाई बहौत पराक्रमी थे लेकिन गन्धर्वो के साथ एक युद्ध में उन्होको वीरगति प्राप्त हो गई और उन्होके छोटे भाई विचित्रवीर्य को हस्तिनापुर का युवराज घोषित कर दिया और उन्होके बालिक होने तक हस्तिनापुर का सिंघासन गंगा पुत्र भीष्म से संभाला जैसे ही वे बालिक हो गये। 

भीष्म को उन्होके विवहा की चिंता होने लगी उसी दौरान कशी राज की कन्याओ का स्वयंवर होने वाला था तभी भीष्म किसी को कुछ बताये उस स्वयंवर में पहोच गये वहा बैठे सभी राजा भीष्म को देख चकित रह गए क्यकि भीष्म ने आजीवन भ्र्मचार्य की प्रतिज्ञा की थी तो वो यहां क्या कर रहे है तभी भीष्म ने बताया की में काशी राज की तीनो कन्याओ “अम्बा-अम्बिका और अम्बालिका” को अपने छोटे भाई विचित्रवीर्य के लिए लेने आया हूँ तभी वहा बैठे सभी राजा क्रोध में आगए और भीष्म से युद्ध कर बैठे युद्ध में सभी को हरा कर भीष्म पितामह ने तीनो राजकुमारियों का हरण कर हस्तिनापुर ले आये। 

महारानी अम्बा ‘शाल्व राज्ये” के “राजा साल्व” से प्रेम करती थी राजकुमारियों को हस्तिनापुर लाने के दौरान भीष्म का युद्ध साल्व से हुआ जिस में शाल्व राज्ये पराजित हुआ। हस्तिनापुर आने के बाद जब अम्बा ने भीष्म को बताया की में राजा साल्व से प्रेम करती हूँ और तभी भीष्म ने अम्बा को उचित प्रबंध के साथ शाल्व राज्ये भिजवा दिया जहाँ साल्व से अम्बा को स्वीकार नहीं किया और हसितनापुर भीष्म पितामह के पास वापस भेज दिया अम्बा अब कहि की नहीं रही तभी ग़ुस्से में आकर उन्होंने भीष्म को कहाँ की अब आप को ही मुझसे विवहा करना पड़ेगा तभी भीष्म ने कहाँ देवी आप को शयद मेरी प्रतिज्ञा याद नहीं मेने आजीवन भ्र्मचार्य की प्रतिज्ञा ली है जिसे में तोड़ नहीं सकता अम्बा और क्रोध में आकर बोली की आपकी वजह से मेरी ये दशा हुई है इस के जिम्मेदार आप हो तब भी भीष्म ने यही कहाँ की देवी में विवश हूँ अम्बा भरी सभा में भीष्म को श्राप दे दिया की छाए मुझे जन्म पर जन्म लेने पड़े भीष्म की मौत का कारण में ही बनूँगी ये बोलकर अम्बा वहा से चली गई और भगवान शिव की तपस्या कर उसने अपनी ये कामना भी पूरी कर ली और कई जन्मो के बाद अम्बा महाभारत के युद्ध में  भीष्म की मौत का कारण बानी।    

दोस्तों आपको हमारी पोस्टBiography of Bhishma Pitamah in Hindiपर पढ़कर मजा आया होगा जैसा की आप सभी को

पता है सबसे बड़ा काव्यमहाभारत है महाभारत के लेखक कवी “वेदव्यास है ये एक ऐसा युद्ध हुआ जिसमे लाखो हजारो सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए महाभारत का सबसे महान योद्धा भीष्म पितामह को माना जाता है महाभारत युद्ध में श्रीकृष्ण के अलावा ऐसा कोई नहीं था जो स्वयं इन्होका सामना कर सके, महाभारत के इस युद्ध ये यही शिक्षा मिलती है की कभी भी अपने घर के झगड़ो को दुनिया के आगे ना लाओ और जितनी जल्दी होसके सुलझा लो ऐसी ही सुनी अनसुनी कहानियाँ हम आपके लिए लाते रहगे आप येstory” अपने छोटे भाई या मित्र के साथ जरूर शेयर करे धन्यवाद।  

Hindipool: Rahul हिंदी ब्लॉग इंडस्ट्री के प्रमुख लेखकों में से एक हैं, इनकी पढ़ाई-लिखाई, टेक्नोलॉजी, आदि विषय में असीम रूचि होने के कारण, इन्होने ब्लोग्स के जरिये लोगो की मदद करके अपना करियर बनाने का एक अनोखा एवं बेहतरीन फैसला लिया है|