महात्मा गाँधी जी पर निबंध – Hindi Essay on Mahatma Gandhi Ji

Hindi Essay on Mahatma Gandhi

हेलो दोस्तों,

हिंदीपूल के नए ब्लॉग हम आपका स्वागत है  आज हम बहुत ही खास व्यक्ति के बारे में बात करने वाले हैं इस आर्टिकल में हम बात करेंगे हमारे राष्ट्र पिता – महात्मा  गाँधी जी के बारे में। 

अगर आप स्कूल या कॉलेज स्टूडेंट हो तो आपको कभी न कभी महात्मा गाँधी या बापू के बारे में निबंध लिखने का काम मिल सकता है | आप अपना सामान्य ज्ञान बढ़ने के लिए भी इस आर्टिकल “hindi essay on mahatma gandhi Jiकी  मदद ले सकते हैं और यदि आपको गांधीजी पर कवितायें लिखी को कहा जाए तो आप हमारी लिखी गयी poems on gandhiji in hindi का इस्तेमाल कर सकते हैं| 

महात्मा गाँधी जी पर निबंध – Hindi Essay on Mahatma Gandhi Ji

प्रस्तावना

मोहनदास करमचंद गांधी या  महात्मा गांधी एक भारतीय वकील और एक राजनीतिक कार्यकर्ता थे जिन्होंने अहिंसक प्रतिरोध आंदोलन का उपयोग कर भारत को ब्रिटिश शासन के चंगुल से मुक्त कराने में बहुत बड़ा योगदान दिया था| यह आंदोलन दुनिया भर में नागरिक अधिकारों और स्वतंत्रता आंदोलनों को प्रेरित करता है।

1914 में पहली बार लोगों ने बापू को महात्मा ( संस्कृत: “महान-स्मरणीय”, “आदरणीय”) की उपाधि दी थी| लेकिन आज दुनिया भर में इसका उपयोग किया जाता है।

जन्म और बचपन

मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर गुजरात में हुआ था। उनके पिता, करमचंद उत्तमचंद गांधी (1822-1885), पोरबंदर राज्य के दीवान (मुख्यमंत्री) थे।उनकी माँ का नाम पुतलीबाई था- जो करमचंद गाँधी कीदूसरी पत्नी थी| 

9 साल की उम्र में, गांधी ने राजकोट में स्थानीय स्कूल में अपने घर के पास प्रवेश किया। वहाँ उन्होंने अंकगणित, इतिहास, गुजराती भाषा और भूगोल का अध्ययन किया। 11 साल की उम्र में, उन्होंने राजकोट में हाई स्कूल में दाखिला लिया। वह एक औसत और  शर्मीले  छात्र थे , जिसकी खेलों में कोई दिलचस्पी नहीं थी; उनके एकमात्र साथी किताबें और स्कूल के पाठ थे। 

मई 1883 में, 13 वर्षीय मोहनदास की शादी 14 वर्षीय कस्तूरबाई माखनजी कपाड़िया से हुई | 

1885 के अंत में, गांधी के पिता करमचंद का निधन हो गया। उस समय गांधी 16 साल के थे | इस समय उनका और 17 साल की उनकी पत्नी का पहला बच्चा हुआ था, जो कुछ ही दिनों तक जीवित रहा। इन दो मौतों ने गांधी को पीड़ा दी। 

गांधी दंपति के चार और बच्चे थे, हरिलाल; मणिलाल, रामदास, देवदास| 

पढाई-लिखाई

नवंबर 1887 में, 18 वर्षीय गांधी ने अहमदाबाद के हाई स्कूल से स्नातक किया।

गाँधी का परिवार काफी गरीब था और वो सबसे सस्ते कॉलेज से व् निकल गए थे। मावजी दवे जोशीजी  जो उनके परिवार केदोस्त और ब्राह्मण पुजारी थे, गाँधी को सुझाव दिया की वो लंदन जा कर अपनी पढ़ाई पूरी करें। 1888  में  हरिलाल गाँधी का जनम हुआ जो गाँधी और कस्तूरबा गाँधी की पहली जीवित संतान थी। गाँधी की माँ को उनका इस समय अपने परिवार और पत्नी को छोर कर  जाना सहज नहीं लगा। 

पत्नी और मां को मनाने के लिए, गांधी ने अपनी मां के सामने एक प्रतिज्ञा की कि वह मांस, शराब और महिलाओं से दूर रहेंगे

जून  १८९१  में 22 साल की उम्र में गाँधी को BAR बुलाया गया था. इसके बाद वो भारत के लिए वापस रवाना हुऐ।  घर वापस आ कर उनको पता चला की उनकी माँ का निधन काफी पहले ही हो चूका था और यह बात उनसे छुपा कर रखी गयी थी।

गाँधी बॉम्बे जा कर लॉ की प्रैक्टिस करने लगे लेकिन वो अपनी माँ के देहांत से काफी प्रवाहित हुए थे। वह मनोवैज्ञानिक रूप से विचलित थे और इस कारन से वो एक गवाहों की जांच करने में असमर्थ थे| 

अफ्रीका में जीवन

१९८३ में गाँधी को दतिया अब्दुल्ला नामक एक मुस्लिम व्यापारी ने संपर्क किया। उनके चचेरे भाई को एक वकील की जरूरत थी।  इस सिलसिले में २३ साल की उम्र में गाँधी को दक्षिण अफ्रीका के लिए रवाना होना पड़ा। 

दक्षिण अफ्रीका में 21 साल रहने के बाद , उन्होंने अपने राजनीतिक विचारों, नैतिकता और राजनीति को विकसित किया।

दक्षिण अफ्रीका पहुंचने के तुरंत बाद, गांधी को अपनी त्वचा के रंग और भारतीय विरासत के कारण भेदभाव का सामना करना पड़ा, जैसे सभी अश्वेत लोगों  के साथ किया जाता था। 

उन्हें प्लेटफार्म पर बैठने की अनुमति नहीं थी। उन्हें ड्राइवर के पास फर्श पर बैठने लिए कहा गया था और मना करने पर उन्हें पीटा भी गया। एक बार उन्हें एक श्वेत व्यक्ति घर के पास चलने की हिम्मत करने के लिए एक गटर में गिरा दिया गया था। एक अन्य उदाहरण में प्रथम श्रेणी छोड़ने से इनकार करने के बाद उन्हें पीटरमैरिट्जबर्ग में एक चलती ट्रेन से नीचे फेंक दिया गया।

एक अन्य घटना में, डरबन की एक अदालत के मजिस्ट्रेट ने गांधी को अपनी पगड़ी हटाने का आदेश दिया, जिसे उन्होंने करने से इनकार कर दिया।। गांधी को एक पुलिस अधिकारी ने बिना किसी चेतावनी के फुटपाथ से बाहर निकाल दिया क्योंकि दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों को सार्वजनिक पगडंडियों पर चलने की अनुमति नहीं थी। 

अपने और अपने देशवासियों के प्रति ऐसा भेदभाव देख कर उन्हें बहुत अपमानजनक लगा। उन्हें यह समझ नहीं आया की लोग इस तरह की अमानवीय प्रथाओं में सम्मान या श्रेष्ठता या खुशी महसूस कर सकते हैं। 

राजनीती में प्रवेश

गांधीजी की  राजनीती में कोई रुचि नई थी। लेकिन नस्लवादी भेदभाव को करीब से देखने के बाद उन्होंने अपना ध्यान भारतियों की तरफ किया।

उन्होंने महसूस किया कि उन्हें इसका विरोध करना चाहिए और अपने देशवासिओ के अधिकारों के लिए लड़ना चाहिए। इसके लिए उन्होंने नटाल इंडियन कांग्रेस का गठन कर राजनीति में प्रवेश किया। इस संगठन के माध्यम से उन्होंने अफ्रीका में रहने वाले भारतीय समुदाय को एकत्रित कर एक राजनैतिक  सांचे में डाला। 

भारतीय स्वतंत्रता के लिए संघर्ष

गाँधी एक भारतीय राष्ट्रवादी, सिद्धांतकार और सामुदायिक आयोजक के रूप में प्रसिद्धि प्राप्ति की थी। 1915 में गोपाल कृष्णा गोखले के अनुरोध पर’गाँधी भारत लौट आए।  भारत आने पर वह INC इंडियन नेशनल कांग्रेस ( भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ) में शामिल हो गए जहा गोखले उनके मार्गदर्शक बने।  

गोखले ने गाँधी को भारतीय मुद्दों , भारतीय राजनीती , और भारतीय लोगों से परिचय कराया। गोखले भारत के लोगों के बीच अपने संयम और उदारवादी विचारधारा के लिए काफी मशहूर थे। गांधी ने भी उनकी विचारों से काफी प्रभावित हुए। 

गांधी की सबसे पहली राजनैतिक उप्लभ्धि बिहार के चम्पारण आंदोलन को माना जाता है।  चम्पारण के किसान ब्रिटिश सरकार की नयी नीतिओं के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे।  उन्हें इंडिगो (नील ) उगाने के लिए मजबूर किया जाता था – जिससे किसानो को बहुत ज्यादा नुक्सान होता था। 

इससे दुखी होकर किसानो ने गाँधी जी से मदद की अपील की। गांधीजी ने अहिंसक विरोध की राजनीती का सहारा लिया और आश्चर्यचकित रूप से ब्रिटिश अधिकारिओं से अपनी बात मनवा ली।  

खेड़ा आंदोलन

गांधीजी के राजनैतिक जीवन का अगला पड़ाव खेड़ा आंदोलन था।  1918 में खेड़ा ( गुजरात का एक शहर ) बाढ़ और आकाल से ग्रसित था।  यहाँ पर गांधीजी की मुलाकात वल्लभ भाई पटेल से हुई जो उस छेत्र के किसानो की अगुवाई कर रहे थे।  यहाँ पर भी गैर-सहयोग का उपयोग करते हुए, गांधी ने एक हस्ताक्षर अभियान शुरू किया। 

इस अभियान में किसानो ने राजस्व का भुगतान न करने का वादा किया बजाये इसके की सरकार उनकी भूमि जब्त कर लेती। गांधी ने कड़ी मेहनत करने के बाद जनता का समर्थन हासिल किया।  इस आंदोलन के तहत ममलाटडारों और तलतदारों (जिले के राजस्व अधिकारियों) का सामाजिक बहिष्कार किया गया।  

५ महीने तक इस आंदोलन को सरकार ने अनदेखा किया लेकिन अंततः उनको अपनी नीतिओं को बदलना पड़ना और अकाल समाप्त होने तक कर भुगतान की शर्तों पर ढील दी।

खिलाफत आंदोलन

गाँधी को पता था की अगर उन्हें ब्रिटिश सरकार से लड़ना है तो हिन्दू और मुस्लिम दोनों समुदाइयों को साथ काम करना होगा। पर १९१७ १९१८ के दंगों को देखते हुए यह बस एक सपने जैसा था। गांधी ने बढ़ते मुस्लिम समर्थन को देखने बाद, उन्होंने खलीफा का समर्थन किया। इससे  हिंदू-मुस्लिम सांप्रदायिक हिंसा पर अस्थायी रूप से रोक लग गयी|

खिलाफत आंदोलन का समर्थन करने से गाँधी को मोहम्मद अली जिन्नाह को दरकिनार करने में भी मदद मिली जो मुस्लिम समुदाय को उनके सत्याग्रह असहयोग आंदोलन के दृष्टिकोण का विरोध करने की घोषणा की थी। यद्यपि वे भारतीय स्वतंत्रता के विचार में सहमत थे, लेकिन वे इसे प्राप्त करने के साधनों पर असहमत थे। 

1922 के अंत तक खिलाफत आंदोलन समाप्त हो चूका था। इसी आंदोलन के समाप्त  के साथ गांधी के लिए मुस्लिम समर्थन काफी हद तक लुप्त हो गया।  मुस्लिम समुदाय के नेताओं और प्रतिनिधियों ने गांधी और कांग्रेस का समर्थन  देना त्याग  दिया। 

गांधी जी ने अंग्रेज़ो के खिलाफ कई सारे आंदोलन किए थे जिनमे से एक का नाम था “भारत छोड़ो”| इस आंदोलन ने ऐसी गति पकड़ी और ऐसा रुख मोड़ा की अंग्रेज़ो को 15 अगस्त 1947 में भारत से बहार निकल दिया, इसी आंदोलन के कारण हम एक आज़ाद भारत हिस्सा है|

अंतिम शब्द

महात्मा गाँधी का भारत को आज़ादी दिलाने में सबसे अहम योगदान रहा है, उन्होंने अपनी पूरी ज़िन्दगी भारत को आज़ादी दिलाने में कुर्बान कर दी थी| वह एक बहुत ही महान इंसान थे, में सभी भारतवासियों की तरफ से उनका धन्यवाद करता हूँ|

भारत माता की जय!

हमे उम्मीद है आपको हमारा Hindi Essay on Mahatma Gandhi Ji पर लेख अच्छा लगा होगा| अगर आपको हमारा महात्मा गाँधी पर निबंध पर लेख पसंद आया हो तो इसे व्हाट्सप्प और फेसबुक जरूर शेयर करें| धन्यवाद!

Hindipool: Rahul हिंदी ब्लॉग इंडस्ट्री के प्रमुख लेखकों में से एक हैं, इनकी पढ़ाई-लिखाई, टेक्नोलॉजी, आदि विषय में असीम रूचि होने के कारण, इन्होने ब्लोग्स के जरिये लोगो की मदद करके अपना करियर बनाने का एक अनोखा एवं बेहतरीन फैसला लिया है|