Motivational Stories in Hindi – दिल में जोश भर देने वाली कहानियां

Motivational Stories in Hindi

Motivational Stories in Hindi

नमस्कार दोस्तों आज हम आप के लिए एक मजेदार पोस्ट “motivational stories in hindiलाये है| जैसा की आप सब को पता है की “प्रेरणार्थक कहानियाँ” हमारे जीवन में एक दवा की तरह काम करती है| दोस्तों ज़िंदगी में अक्सर ऐसे पल आते है जहाँ आप टूट जाते हैं| आपको सब कुछ खत्म सा लगता है, उस समय आप निराशा के भवर में कही खो से जाते, हो इसी भवर से बहार निकालने के लिए हम आप के लिए, कुछ best hindi motivational stories लाये है|

दोस्तों हमारी पोस्ट में लिखी ये तीनो कहानिया अपने आप में एक सफलता की निशानी है| हम उम्मीद करते है की आप को हमारी पोस्ट पसंद आएगी। 

3 प्रेरणार्थक कहानियाँ जो आपके अंदर जोश भर देंगी – Motivational Stories in Hindi

Motivational Story of Ms Dhoni in Hindi – विश्व के सर्वश्रेष्ठ क्रिकेट कप्तान

Motivational Story of Ms Dhoni in Hindi

आज हम एक ऐसे कप्तान की बात करने जा रहे जिस ने अपना ही नहीं इस देश का भी नाम रोशन किया, एमएस धोनी अपने जीवन में एक महान कप्तान वे बेस्टमैन रहे जिस की सरहाना आज पूरी दुनिया करती है एमएस धोनी ने अपनी कप्तानी में भारत को तीनो फॉर्मेट की ट्रॉफ़िया जिताई| अब तक एमएस धोनी आईपीएल के चार खिताब अपने नाम कर चुके है यह तक की 2007 T20  “word cup”2011 “word cup” अपने नाम कर चुके है| आज इन्हो की गिनती विश्व के महान कप्तानों की लिस्ट में की जाती है।

MS Dhoni का जन्म झारखण्ड रांची में हुआ था इन्हो के पिता का नाम पान सिंह वे माता का नाम देवकी देवी है|

इन्हो का एक भाई वे एक बहन भी है, एमएस धोनी ने अपनी शिक्षा रांची के “सेंट जेवियर्स स्कूल” से प्राप्त की थी| धोनी को पढ़ाई लिखाई में कोई ज्यादा मन नहीं था| धोनी को फुटबॉल में काफी अच्छे खिलाड़ी थे बाद में  इन्हो की क्रिकेट में  रूचि बढ़ने लगी और देखते  ही देखते धोनी स्कूल की क्रिकेट टीम के विकेट कीपर बन गए|

धोनी धीरे धीरे एक शानदार खिलाड़ी बन गए, कुछ समय बाद धोनी का चयन रांची के एक क्रिकेट क्लब में कर लिया गया धोनी इस क्लब के लिए लगभग दो या तीन साल खेले थे अपने शानदार प्र्दशन से मशहूर एमएस धोनी का चयन 1997 वे 1998 में “वीनू मकांड अंडर चैम्पियनशिप” के लिए चुन लिया गया था| यह भी धोनी ने अपने शानदार प्र्दशन से करीब करीब कभी का दिल जित चुके थे|

जब ये बहतरीन खिलाड़ी बन चुके थे, तब ही इन्हो के जीवन में एक ऐसा मोड़ आया ये समज नहीं पा रहे थे की ज़िंदगी कहा जा रही है इन्हो को तब स्पोर्ट कोटा की तरफ से रेलवे में (ticket collector) पद के लिए जॉब ऑफर की गई| जहाँ पर धोनी ने तीन साल तक अपनी सेवा रेलवे को दी| ये जॉब के साथ साथ रणजी (ranji) भी खेलते चले जा रहे थे| पर तब इन्हो के जीवन जैसे अटक सा गया हो तभी “prakash poddar” ने धोनी के खेल को देखते हुए उन्हों को नेशनल लेवल पर खेलने के लिए चुन लिया था prakash poddar बंगाल टीम के पूर्व कप्तान रह चुके है|

एमएस धोनी को सफलता तब मिली जब इन्हो को 2003 में (India A) टीम के लिए चुन लिया गया, उन्हों का ये मैच केनिया में था इस सीरीज में धोनी के शानदार प्र्दशन वे अर्ध शतक से भारत को जित दिलाई थी इसी सीरीज में धोनी ने कुल साथ मैचों में 362  ताबड़तोड़ पारी खेली थी|

धोनी के इस शानदार प्र्दशन को देकते हुए (India A) टीम के कोच “संदीप पाटिल” ने धोनी के लिए भारतीय टीम में (wicket-keeper batsman) तोर पर खेलने के लिए धोनी के नाम की शिफारिश की थी जब तक धोनी अपने प्र्दशन के दम पर एक अलग पहचान बना चुके थे|

2004 वे 2005 में बांग्लादेश वनडे टीम के लिए धोनी को चुन लिया गया लेकिन यहां इन्हो को कुछ ख़ास सफलता नहीं मिली इन्हो का प्र्दशन कुछ ख़ास न होने के बाद भी इन्हो को पाकिस्तान दौरे के लिए चुन लिया गया और यहां धोनी ने 123 बॉल में 148 रन की ताबड़तोड़ पारी खेली और भारत को जित दिलाई थी अपने इस दम पर इन्होने टीम में अपना स्थान सुनिश्चित कर लिया था  

2007  में जब राहुल द्रविड़ ने टेस्ट और वनडे कप्तानी से अपना इस्तीफा दे दिया था उसके बाद धोनी को कप्तानी सोपि गयी और धोनी भारतीय टीम के कप्तान बन गए उसके बाद धोनी कभी मुड़े नहीं और सफलता की सीडी चढ़ते चले गए और 2007 में पहला  टी20 वर्ड कप वे 2011 में वनडे इंटरनेशनल वर्डकप भी अपने नाम किया और पुरे भारत के दिल में अपनी एक अलग जगह बनायीं|

आज भले एमएस धोनी रिटायर हो गए हो लेकिन आज भी धोनी की गिनती एक महान सफल कप्तानों की लिस्ट में की जाती दोस्तों धोनी वो सितारा है जिसकी तरह हर कोई चमकना चाहता है| इन्हो की जॉब रेलवे में लग गई थी लकिन फिर भी इन्हो ने हार नहीं मानी, इस महान इंसान ने वही किया जो इन्हो को करना था| 

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Motivational Story of Yuvraj Singh in Hindi – “क्रिकेट जगत का एक अनोखा सितारा”

Motivational Story of Yuvraj Singh in Hindi

आज हम बात करने जा रहे है एक महान दिग्गज इंटरनेशनल बाए हाथ के खिलाड़ी की जिन्होंने भारतीय क्रिकट टीम का नाम उचाईयो पर लाया है “युवराज सिंह”. यह एक सफल क्रिकट खिलाड़ी रहे चुके है| युवराज सिंह का क्रिकेट में एक शानदार सफर रहा इन्हो की इस सफलता व प्र्दशन को देखते हुए इन्हो को “राष्टपति प्रणव मुखर्जी” द्वारा अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया और साथ ही साल 2014 में “पदम्श्री अवॉर्ड” से भी नवाजा गया था| 

युवराज सिंह का जन्म 12 दिसंबर 1981 को चण्डीगढ़ में हुआ था इन्होके पिता एक अभिनेता है वे इन्हो की माता का नाम शबनम सिंह है| युवराज सिंह को टेनिस वे रोलर स्केटिंग जैसे खेलो की काफी रूचि थी पर इन्हो के पिता चाहते थे की युवराज एक सफल क्रिकेट खिलाड़ी बने युवराज सिंह के पिता ने इन्होको क्रिकेट खेलने के लिए प्रेरित किया था|

इस महान खिलाड़ी ने अपने कैरियर की शुरुआत क्रिकेट के रूप में की जहां इन्हो को काफी ज्यादा सफलता मिली| युवरान सिंह ने 1995 -1996 के दौरान जम्मू-कश्मीर के विरुद्ध मैच खेला वे 1996 -1997 पंजाब अंडर-19 के लिए खेला, जहाँ इन्होने अपना शानदार प्र्दशन देते हुए जित हासिल की थी|

युवराज सिंह चर्चा में तब आये जब इन्होने “कूच बिहार ट्रॉफी” में अपना जबरदस्त प्र्दशन दिखाया था तब इन्होने पंजाब टीम के लिए करीब 362 रन की ताबड़ तोड़ पारी खेली थी युवराज सिंह के इस शानदार प्र्दशन को देखते हुए इन्होका चयन साल 2000 में अंडर-19 वर्ल्डकप में भारतीय क्रिकेट टीम की तरफ से खेलने का शानदार मौका मिला जहां भारतीय टीम ने सामने वाली टीम के छक्के छुड़ा दिए थे| 

अंडर -19 भारतीय टीम में युवराज सिंह का शानदार प्र्दशन को देकते हुए इन्होका चयन icc नॉकऑउट के लिए कर लिया गया था| युवराज सिंह का इस सीरीज में शानदार प्र्दशन रहा, लेकिन अफ़सोस उस मैच में भारत को हार का मुँह देकना पड़ा था| इस मैच में युवराज सिंह ने ऑस्टेलिया के खिलाफ 82 बाल में 84 रन की ताबड़तोड़ पारी खेली थी और 2002 में मोहम्मद कैफ के साथ इस मैच में काफी अच्छा पर्दशन कर भारत को जित की तरफ ले गए और ये मैच यूवराज सिंह के क्रिकेट कैरियर का काफी बेहतरीन  मैच रहा जब से यूवराज सिंह एक मध्यम क्रम के बल्लेबाज़ बन गए इस मैच के बाद यूवराज सिंह ने भारत को बहुत मैचों में खिताब दिलाया और देकते ही देकते यूवराज सिंह आगे बढ़ते चले गए अपने शानदार प्र्दशन से सबको चौकाते चले गए। 

कुछ समय बाद यूवराज सिंह को 2003 विश्व कप टीम के लिए चुन लिया गया और यूवराज सिंह के शानदार प्र्दशन से टीम फाइनल में पहुंची तो सही लेकिन जित नहीं पायी टीम को हार का सामना करना पड़ा| कुछ समय बाद युवराज सिंह को टेस्ट मैच खेलने का मौका दिया गया और उन्हों ने अपना पहला टेस्ट मैच 16 अक्टूबर 2003 को न्यूजीलेंड के खिलाफ लड़ा आगे चल कर साल 2007 में यूवराज सिंह ने टी20 -विश्व कप श्री लंका के खिलाफ खेला जहां भारत को हार का सामना करना पड़ा|

ये विश्व कप राहुल द्रविड़ की कप्तानी में हुआ इस के बाद इन्होने कप्तानी छोड़ दी और एमएस धोनी को कप्तानी सोप दी गई वे यूवराज सिंह को उप कप्तान बनाया गया| तब ही थोड़े समय बाद 20-20 क्रिकेट में धोनी की कप्तानी में यूवराज सिंह ने अच्छी अच्छी टीम के छक्के छुड़ा दिए थे और 20-20 विश्व कप अपने नाम किय| इन्ही में से एक मैच इंग्लैंड के खिलाफ खेला गया था जिस में यूवराज सिंह ने “6 बॉल में 6 छक्के” लगाए थे और इसी मैच में यूवराज सिंह ने मात्र 12 बॉल में 50 रन की एक ताबड़ तोड़ पारी खेली जो एक वर्ल्ड रिकॉर्ड माना जाता है| 

समय के साथ साथ यूवराज सिंह उचाईयो के शिकार को छूते चले गए फिर समय आया साल 2011 वर्ल्ड कप जिस में यूवराज सिंह ने एक एहम भूमिका अदा करि और वर्ड कप अपने नाम किया देकते ही देकते इन्होने काफी सीरीज वे मैच खेले और अपने शानदार प्रदशन से लोगो का वे दुनिया का दिल जीतते चले गए यूवराज सिंह को क्रिकेट की दुनिया में एक महान बल्लेबाज़ वे एक सफल खिलाड़ी के रूप में हमेशा याद किया जाएगा। 

दोस्तों आपको हमारी Motivational Stories in Hindi पढ़ने में मज़ा आ रहा है या नहीं, हमे कमैंट्स में जरूर बताये|

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Nawazuddin Siddiqui Motivational Story in Hindi ”चौकीदार से अभिनेता बनने का सफर”

Nawazuddin Siddiqui Motivational Story in Hindi

आज हम बात करने जा रहे है  ऐसे महान अभिनेता की जिसने भारतीय सिनेमा में अपनी छाप छोड़ी है और धीरे धीरे सफतला के शिकार को हासिल किया, हम जिस शक्श की बात कर रहे हैं उनका नाम है “नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी”| दोस्तों नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी एक आम आदमी थे जिन्होंने वॉचमैन से लेकर नौकर तक का जीवन व्यतीत किया है| दोस्तों इन्होकी कामियाबी किसी सबुत की मोहताज नहीं है आज ये जो भी आप के सामने है| तो आइये देकते है नवाज़उद्दीन सिद्दीकी का चौकीदार से अभिनेता बनने का ये शानदार सफर।

दोस्तों नवाज़उद्दीन सिद्दीकी का जन्म 19 मई 1947 को मुजफ्फरपुर के एक जिले में छोटे से गांव में एक मुस्लिम परिवार में हुआ था| इन्होके पिता एक किसान थे इन्होकी माता का नाम मेहरुत्रिसा है, नवाज़उद्दीन सिद्दीकी के कुल 9 भाई बहन है जिस में नवाज़उद्दीन सिद्दीकी सब से बड़े है| 

बात अगर इन्होकि शिक्षा की करे तो इन्होने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मुजफ्फरपुर के “बी एस एस कॉलेज” से किया है नवाज़उद्दीन सिद्दीकी को अपने गांव का माहौल कभी सही नहीं लगता था इसलिए वे अपने आगे की पढ़ाई के लिए गांव से बहार चले गए और इन्होने उत्तराखंड के हरिद्वार में स्थित “कांगरी विश्वविधालय” से अपनी कॉलेज की पढाई पूरी की थी| नवाज़उद्दीन सिद्दीकी का सफर काफी संघर्ष पूर्ण रहा पर इन्होने कभी भी हार नहीं मानी और आगे भाड़े गए।

नवाज़उद्दीन सिद्दीकी की पढ़ाई पूरी होने के बाद ये गुजरात गए और काम की तलाश में जुट गए तभी इन्हो को एक जॉब मिली जहाँ ये एक केमिस्ट के पद पर काम करने लगे, पर यहां इन्होने ज्यादा समय काम नहीं किया और ये दिल्ली निकल गए क्योकि ये हमेशा से एक अभिनेता बनना चाहते थे और यही से उन्हों का सफर हुआ| 

उन्हों के एक दोस्त ने बताया की अगर एक्टर बनना है तो दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा में हिस्सा लेले लेकिन अफ़सोस नवाज़उद्दीन सिद्दीकी उस स्कूल में दाखिला नहीं ले पाए क्यूकी वहा पर (experience) चाइये था, जो इन्होके पास नहीं था| तभी थोड़े समय में नवाज़उद्दीन सिद्दीकी ने एक प्ले ग्रुप ज्वाइन किया और वहा से अपने दम पर टेलेंट हासिल किया उस प्ले ग्रुप का नाम “sakshi theatre” था| वहा पर नवाज की मुलाक़ात मनोज बाजपाई वे सौरभ शुक्ल के साथ हुई ये सब साथ काम कर छोटे छोटे रोले प्ले करते थे पर कोई ख़ास सफलता नहीं मिली|

तभी इन्होने दिल्ली में एक जगह चौकीदार का भी काम किया हालांकि वे एनएसडी में दाखिला ले चुके थे और छोटे मोठे रोले प्ले करने लग गए थे पर कुछ समय बाद वे मुंबई चले गए यहां इन्होकी मुलाक़ात एनएसडी के सीनियर से हुई नवाज़उद्दीन सिद्दीकी ने उनहो से मदद मांगी और नवाज़उद्दीन सिद्दीकी उनके साथ रहने लग गए थे लकिन नवाज़उद्दीन सिद्दीकी को रोज उन्हों के लिए खाना बनाना पड़ता था|

नवाज़उद्दीन सिद्दीकी टीवी सीरियल में भी रोल प्ले करने लग गए थे पर उन्हो को कुछ बड़ा करना था उन्हो को सफलता नहीं मिल रही थी वो लोगो के ताने सुन सुन कर पक गए थे उन्होंने अपने गांव जाने का लगभग मन बना ही लिया था पर साल 1999 में आमिर खान की फिल्म “सरफ़रोश” में एक छोटा सा रोल मिला जिस में उन्हों ने एक अपराधी का रोल किया वे साल 2003 में आई फिल्म मुन्ना भाई एमबीबीएस में एक पॉकेटमार का किरदार निभाने का मौका मिला साल 2002 के बाद उन्होके पास कोई काम नहीं था|

अनुराग कश्यप की फिल्म ब्लैक फ्राइडे में इन्होको को एक एहम भूमिक निभाने को मिली जो साल 2007  में आई थी इसके बाद नवाज उचाईयो को छूते चले गए और साल 2010 में आमिर खान प्रोडक्शन से पीपली लाइव से एक अभिनेता के रूप में उभरे देकते ही देकते ये एक सफल अभिनेता बन गए|

नवाज़उद्दीन सिद्दीकी की हिट फिल्मे जैसे किक, गैंग्स ऑफ़ वासेपुर, सेक्रेड गेम्स, बदलापुर आदि, ऐसी कई फिल्मो में इन्होने एक महान भूमिका अदा की है आज ये बॉलीवुड के अभिनेताओं में से एक सफल एक्टर माने जाते है।

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हम उम्मीद करते हैं दोस्तों आज की हमारी पोस्ट “motivational stories in hindi पढ़कर आप को मजा आया होगा| दोस्तों ये वो महान भारतीय है| जिन्होंने अपने जीवन में काफी संघर्ष कर इस सफलता को हासिल किया है| अगर आप ने किसी चीज की जिद्द पकड़ ली तो आप भी अपनी सफलता को हासिल कर सकते है| हमारा इरादा सिर्फ आप को इंस्पायर करना ही नहीं था बल्कि इन महान इंसानो के बारे में बताना भी था जिससे आप कभी अपने आप को छोटा ना समझे|

Hindipool: Rahul हिंदी ब्लॉग इंडस्ट्री के प्रमुख लेखकों में से एक हैं, इनकी पढ़ाई-लिखाई, टेक्नोलॉजी, आदि विषय में असीम रूचि होने के कारण, इन्होने ब्लोग्स के जरिये लोगो की मदद करके अपना करियर बनाने का एक अनोखा एवं बेहतरीन फैसला लिया है|