माँ पर कविता – Poem on Mother in Hindi

Poem About Mother in Hindi

माँ पर 11 भावुक कविताएँ - Poem About Mother in Hindi

Poem on Mother in Hindi : नमस्कार दोस्तों! आपका Hindipool पर आपका हार्दिक स्वगत है| आज हमने माँ पर कविताएं लिखी है|

माँ को धरती पर भगवान माना जाता है क्योकि भगवान तो हर जगह हो नहीं सकते इसलिए उन्होंने इस दुनिया में माँ को बनाया है| एक माँ ही है जो 24 घंटे हमारे लिए उपलब्ध रहती है| बच्चा चाहे कैसा भी हो परन्तु माँ का प्यार हमेशा अटूट होता है|

इस दुनिया में सबसे ख़ूबसूरत चीज़ ही माँ होती है, बहुत खुशनसीब होते हैं वो जिनका जीवन माँ की छत्र छाया में बीतता है|

इस दुनिया में जो सुख माँ की गोद में मिलता है वो कही नहीं मिलता है| यह तो किसी ने सच ही कहा है अगर धरती पर कही स्वर्ग है तो वो माँ की गोद में है|

हम कितनी भी कोशिश करले, माँ की तारीफ़ में कितनी भी कविताएं लिख ले परन्तु हम माँ की एहमियत और उनका प्यार पूरी कभी नहीं बता पाएंगे|

माँ पर कविता – Poem on Mother in Hindi

Maa Par Kavita in Hindi

तू आज जो माँ की गाली बकता है,
चलो उसकी कहानी बताएँ जिसका दिल तेरे लिए धड़कता है….

तेरे जन्म पर दर्द सह कर भी उस मुखड़े पर ख़ुशी वो थी,
तेरे मुँह से “माँ” शब्द सुनने की भूखी वो थी,

तुझे चलने से लेकर जीना सिखाया,
हर एक निवाला अपने हाथों से खिलाया,

साइकल चलानी सिखायी उन हाथों ने,
तेरे स्कूल की छुट्टी के बाद तेरे बस्ते का वज़न उठाया उसके कांधों ने।

रात में तेरी स्कूल की वर्दी इस्तरी कर वो सोती थी,
सुबह 4 बजे उठकर तेरे खाने के डब्बे के लिए नमकीन, बिस्कुट और सब्ज़ियाँ संजोती थी,

याद है? जब तेरी स्कूल की लड़ाई के कारण वो स्कूल में लड़ने चली आयी थी?
PTM में तेरे हिस्से की डाँट उसने ही खायी थी,

तेरे पिकनिक की शॉपिंग में अपने जमा किए पैसे तक लगाती थी,
तुझे चोट लगे तो नज़र लग गयी कहके… मिर्ची से नज़र भगाती थी,

तू आज जो माँ की गाली बकता है।
चलो उसकी कहानी बताएँ जिसका दिल तेरे लिए धड़कता है||

मेले में बड़े झूले पर हाथ वही पकड़ कर बैठा करती थी,
मैं नहीं छोड़ूँगी तेरा हाथ, मुस्कुरा कर वो कहती थी,

खुद के गोलगप्पे ना खाकर तुझे क़ुल्फ़ी खिलाती थी,
ये वही औरत है जो दर्द सहकर, तुझ बच्चे को अपना दूध पिलाती थी।

तू जब पढ़ने उससे दूर गया तो गंगा उसने बहायी थी,
हर रात अंधेरे में तेरी याद में वो रो-रो कर्राही थी,

जिस माँ के बिना तू सो भी नहीं पाता था,
बड़े होने पर, तू उसके साथ निकलने पे क्यों शर्मिंदा खुद को पाता था?

उस औरत के बलिदान को इतना छोटा मान लिया?
खुद को बड़ा दिखाने के लिए क्यों गाली में… “माँ” नाम लिया?

आज के बाद गाली में माँ बोलने से पहले 100 बार तू सोचेगा,
उस पर जो बीती वो तू अपने बच्चों से भोगेगा।

तू आज जो माँ की गाली बकता है।
चलो उसकी कहानी बताएँ जिसका दिल तेरे लिए धड़कता है|

यह भी जरूर पढ़े: माँ के लिए दिल को छू जाने वाली लाजवाब शायरियां


Short Poem on Mother in Hindi

मुझे धुप से बचाकर,
सूरज की आग सह लेती है…

मेरे पास बुझा कर,
अपना गला सुखा रख लेती है…

खाने के समय जब रोटी हो एक,
मुझे भूखा नहीं कह कर पीछे हो जाती है…

तपते बदन में भी
घर का सारा काम कर लेती है|

वह माँ है….
जो बेइंतेहा दर्द सहकर,
मुस्कुराते हुए जन्म देती है||


मेरी दोस्त माँ  – Hindi Poem on Mother

मेरे हाथों से बुरा वक़्त की लकीरें भी मिटा देती है,
माँ जब सर पर हाथ रखती है तो सुला देती है,

मेरी सोई हुई किस्मत जगा देती है,
खुद ना खाकर भी मुझे अपने हाथों से खिला देती है,

मैं दुखी हूँ जब भी उससे कहूं नहीं,
फिर भी ना जाने कैसे समझ जाती है,

वो माँ है,
चुपके से मंदिर में मेरे नाम का दिया जला देती है||


माँ पर कविता – Poem on Mother in Hindi

मेरे चेहरे पर मुस्कान देख,
तुम भी मुस्कुराया करती हो,

मेरे चेहरे पर उदासी देख,
तुम भी उदास हो जाया करती हो,

जब कभी गलती हो जाती मुझसे,
तो मुझे समझाया करती हो,

जब कभी रुठा करता हूं,
तो मुझे मना करती हो,

मैं जिंदगी को सही दिशा देकर,
मेरी ज़िन्दगी सवारा करती हो,

हाँ तुम्हारा बेट हूँ में माँ,
तुम्हारा हक़ है सबसे ज्यादा मुझपर||

यह भी जरूर पढ़े: माँ पर निबंध – Essay on Maa In Hindi


Miss You Maa Kavita

वो सामने ना भी हो तो उसकी छाया कई जाति नहीं,
मां की यादें हमें उसके दूर होने का एहसास कराती नहीं…

मेरी नाराजगी है “मेरी माँ नहीं है” कहने वालों से,
माँ एक एहसास है जो इंसान से कभी जुदा हो पाती नहीं|

घर की रौनक पे चार चाँद तुम लगाओ ना,
माँ खुश होगी उस अंबर से तुम्हें देखकर,
तुम भी माँ जैसे बनके दिखाओ ना|

माँ को कभी खोया नहीं जाता,
ऐसा सोचना उसके प्यार की तौहीन है,

तुम उसकी तरह बनो दुनिया के लिए,
और बिना किसी चाह के सबके लिए प्यार लुटाओ ना ||


माँ के लिए बेटी द्वारा रचित कविता

अपने नाम से पहले माँ के नाम की समझ थी,
अपनी उम्र से पहले घर के काम की समझ थी|

वो नन्हे नन्हे हाथों से झाड़ू लगाना,
रसोई की सफाई करते हाथ बटाना,

अपने हाथों से मां की आंख ढक के,
अपने काम तारीफ करना,

उसकी हसी पे निसार मेरी जान की समझ थी,
अपने नाम से पहले माँ के नाम की समझ थी|

सोचा ना था के घर बदलना पड़ेगा,
माँ के बिना अकेले संकटो से लड़ना पड़ेगा,

पर वीडियो कॉल पे वो अक्सर मुझे कहती है,
“अरे तुम तो मेरी बेटी हो, तुम्हे संभलना पड़ेगा”,

उसके बातो से पहले कब आसमान की समझ थी,
अपने नाम से पहले माँ के नाम की समझ थी|


मदर्स डे पर मम्मी के लिए पोएम

हाथ पकड़ कर जिसने मुझे चलना सिखाया,
मैं कौन हूँ उसने मुझे खुद से मिलवाया,

सही और गलत में अंतर बताया,
शुक्रिया भी कम है,

इस काबिल बनाया,
गलतियां हज़ार मेरी,

फिर भी बचाया,
फिर कान पकड़ कर सही रास्ता भी दिखाया|

मानता हूँ भगवान् ने इस जहाँ को बेहद खूबसूरत बनाया है,
लेकिन माँ ही है वो जिसने इस जहाँ को बेहद खूबसूरती से दिखाया है|

जितना तेरे लिए लिखू उतना कम है माँ,
खुशनसीबी मेरी जो तूने मुझे जन्मा,

कुछ नहीं लिखता माँ पे ये ही शिकायत करती थी ना,
देख तेरे पर भी लिख देता है तेर ये बेटा निकम्मा||


I Love You Poem on Maa in Hindi

बचपन में करेले की सब्जी खिलाना
कह कर कि उतनी कड़वी भी नहीं,
ऐसा जिंदगी क्यों नहीं कहती माँ।

दोपहर का वक्त सोकर बिताना,
अब शाम भी थकती नहीं,
ये दोपहर कहाँ खो गया माँ।

चोट लगने पर दौड़कर चली आना,
बेजान उस कुर्सी को धमकाना,
मैं तब भी समझता था माँ।

मैं कहता नहीं बड़ा होना बुरा है,
पर ज़िंदगी क्यूं तुझ सी नहीं,
जिंदगी को डांटकर समझाओ न माँ।


माँ, ममता की मूरत  {माँ पर रुला देने वाली कविता} – Poem on Mother in Hindi

अपने आंचल की छाओं में, छिपा लेती है हर दुःख से वो,
एक दुआ दे-दे तो काम सारे पूरे हों,

अदृश्य है भगवान, ऐसा कहते है जो,
कहीं ना कहीं एक सत्य से, अपरिचित होते है वो…

खुद रोकर भी हमें हसाती है वो…
हर सलीका हमें सिखलाती है वो…

परेशानी हो चाहे जितनी भी, हमारे लिए मुस्कुराती है वो…
हमारी खुशियों की खातिर दुखो को भी गले लगाती है वो…

हम निभाएं ना निभाएं अपना हर फ़र्ज़ निभाती है वो…
हमने देखा जो सपना सच उसे बनती है वो…

दुःख के बादल जो छाये हमपर तो धुप सी खिल जाती है वो…
ज़िन्दगी की हर रेस में हमारा होसला बढाती है वो…

हमारी आँखों से पढ़ लेती है तकलीफ और उसे मिटाती है वो…
पर अपनी तकलीफ कभी नही जताती है वो…

शायद तभी भगवान से भी ऊपर आती है वो…
तब भी त्याग की मूरत नही “माँ” कहलाती है वो||


माँ के संघर्ष पर कविता – Hindi Poem on Mother’s Struggle in Hindi

माँ आज बहुत याद आती है तेरी।

माँ वह पहला शब्द है जो मेरी ज़ुबाँ से निकला।
माँ वह पहला शब्द है जो मेरी बाक़ी अलफांसो का सहारा बना।

माँ वह पहली इन्सान है जिसने आंख मूंद के विशवास करना सिखाया।
माँ वह पहली इन्सान है जिसने मुझे मोहब्बत करना सिखाया।

माँ आज बहुत याद आती है तेरी।

जिसने अपना निवाला मेरे मुंह में दाला।
जिसने अपनी नींद मेरी ऑखों मे बसाई।

जिसने मेरी परेशानियों में अपनी सुकून गवाई।
जिसने मेरी असफलता में मुझे हिम्मत दे, छुप-छुप कर अपनें ऑंसू गिराए।

माँ आज बहुत याद आती है तेरी।

जब पहली बार तुझसे बहस की।
जब पहली बार तुझसे नाराज़ हुई।

जब पहली बार तुझे अंदेखा-अंसुना किया।
समझ नहीं पाई यह मेरी भूल थी।

माँ आज बहुत याद आती है तेरी।

इस दुनिया के ज़ुल्म अब सहन नहीं हो रहे।
इन लोगों के ताने अब सुनें नहीं जा रहे।
इस बेमतलब ज़िन्दगी का बोझ अब सहा नहीं जा रहा।

माँ आज बहुत याद आती है तेरी।

अब बस वही पुराने गप्पे लड़ाने हैं मुझे।
अब बस वही सुंदर सी तेरी मुस्कान देखनी है मुझे।

अब बस वही कोमल सा तेरा चेहरा देखना है मुझे।
अब बस तेरे हाथों से ख़ाना है मुझे।
अब बस तेरी गोद में सर रख कर चैन की नींद सोना है मुझे।

माँ आज बहुत याद आती है तेरी।

माफ़ कर देना मुझे जो तेरी एहमियत ना समझ सकी।
माफ़ कर देना मुझे जो तुझसे यूँ रूठ गई।
माफ़ कर देना मुझे जो तुझसे यूँ दूर हो गई।

माँ आज बहुत याद आती है तेरी।

खुद से यही वादा है अब तुझसे दूर नहीं होना है।
खुद से यही वादा है अब तुझे निराश नहीं देखना है।

खुद से यही वादा है अब वह मुस्कान वापस लानी है।
खुद से यही वादा है अब यह रिशता वापस निभाना है।

माँ आज बहुत याद आती है तेरी।


Hindi Poem on Mother by Harivansh Rai Bachchan – माँ पर कविता हरिवंश राय बच्चन

अज मेरा फिरसे मुस्कुराने का मन किया,
माँ की उंगली पकड़कर घूमने जाने का मन किया,

उंगलियां पकड़कर माँ ने मेरी मुझे चलना सिखाया है,
खुद गीले में सोकर माँ ने मुझे सूखे बिस्तर पर सुलाया है,

माँ की गोद में सोने को फिर से जी चाहता है,
हाथों से माँ के खाना खाने का जी चाहता है,

लगाकर सीने से माँ ने मेरी मुझको दूध पिलाया है,
रोने और चिल्लाने पर बड़े प्यार से चुप करवया है,

मेरी तकलीफ में मुझसे ज्यादा मेरी माँ ही रोइ है,
खिला-पीला के मुझको माँ मेरी, कभी भूखे पेट भी सोइ है,

कभी खिलोने से खिलाया है, कभी आँचल में छिपाया है,
गलतियां करने पर भी माँ ने मुझे प्यार से समझाया है,

माँ के चरणों में मुझे जन्नत नज़र आती है,
लेकिन माँ मेरी मुझको हमेशा सीने से लगाती है||


तो दोस्तों ये थी माँ पर कुछ लोकप्रिय कविताएं – Poem on Mother in Hindi, हमें उम्मीद है आपको हमारी सारी कविताएं बहुत ही पसंद आई होगी| इन कविताओं को अपनी माँ के साथ जरूर शेयर करें|

आप ऊपर दी गई कविताओं को आप मदर्स डे पर भी अपनी माँ को सुनाने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं और कक्षा 1, 2, 3, 4,  5, 6, 7, 8, 9,10 के छात्र इन् कविताओं को आपके स्कूल के प्रोजेक्ट या परीक्षाओं में भी इस्तेमाल कर सकते हैं|

Hindipool: Rahul हिंदी ब्लॉग इंडस्ट्री के प्रमुख लेखकों में से एक हैं, इनकी पढ़ाई-लिखाई, टेक्नोलॉजी, आदि विषय में असीम रूचि होने के कारण, इन्होने ब्लोग्स के जरिये लोगो की मदद करके अपना करियर बनाने का एक अनोखा एवं बेहतरीन फैसला लिया है|