Famous Poems By Subhadra Kumari Chauhan दोस्तों आज हमने हिंदी साहित्य की एक बहुत बड़ी छायावाद कवयित्री मानिनी सुभद्राकुमारी चौहान की कविता शेयर की है| में आप सभी कविता प्रेमियों का hindipool पर हार्दिक स्वागत करता हूँ| निचे दी गई कविताओं का लुप्त उठाने से पहले हम आपको महान कवयित्री सुभद्राकुमारी का एक छोटा सा जीवन परिचय दे देते हैं|
कवियित्री का जीवन परिचय – सुभद्राकुमारी चौहान का जन्म 16 अगस्त 1904 में हुआ था| और इनकी मृत्यु 43 की उम्र में 15 फरवरी 1948 में हुई थी| इन्होने बहुत छोटी उम्र में ही एक महान कवियित्री दर्जा प्राप्त कर लिया था, इनकी कविताएं सीधा लोगो के हृदय को लगती है, और सबको बेहद पसंद आती है| “झाँसी की रानी” कविता इन्ही के द्वारा लिखी गई है, और यह इनकी सबसे चर्चित कविताओं में से एक है|
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Best Poems By Subhadra Kumari Chauhan – झाँसी की रानी कविता
सिंहासन थे हिल उठे राजवंशों के,
भृकुटी तानी थी,
बूढ़े भारत में भी,
आई फिर से एक नई सी जवानी थी,
छीनी हुई आज़ादी,
की कीमत सबने बहुत खूब पहचानी थी,
दूर फिरंगियों को करने की,
सबने मन में ठानी थी,,
चमक उठी सन संतान में,
वह तलवार पुरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुंह,
हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी,
वह तो झांसी वाली रानी थी||
सुभद्राकुमारी चौहान की हिंदी कविता – मुरझाया हुआ फूल
यह मुरझाया हुआ प्यारा सा फूल है,
इसका दिल तुम दुखाना मत,
स्वयं बिखरने वाली इसकी,
कोमल पकड़ियाँ तुम बिखराना मत,
गुजरो अगर आस-पास से इसके,
इसे चोट या हानि पहुंचाना मत,
जीवन के अंतिम घड़ियों में,
देखो, इसे रुलाना मत,
अगर हो सके तो ठंडी बुँदे,
टपका देना मेरे प्यारे,
जल ना जाए संतप्त-हृदय,
शीतलता ला देना प्यारे|
Short Poem By Subhadra Kumari Chauhan – पूजा करने चली आई
देव तुम्हारे कई भक्त,
कई ढंग से आते हैं,
सेवा में बहुमूल्य भेटे,
कहीं तरह की लाते हैं,
धूमधाम से सझ-धज के,
वह मंदिर में चले आते हैं,
मुक्ति मणि बहुमूल्य वस्तुएं,
लाकर तुम्हें चढ़ाते हैं,
मैं ही हूं एक गरीब ऐसी,
जो कुछ साथ नहीं लाई,
फिर भी साहस कर,
मंदिर में पूजा करने चली आई||
Subhadra Kumari Chauhan Poems – झाड़ के पात
झाड़ के पात,
बिसर गई टहनी,
करुण कथा जग से क्या कहनी,
नव कोपल में आते-आते,
बिखर गये जग में सब के सब नाते,
राम करें इस नवपल्ल्व को,
पढ़े नहीं है पीड़ा सहनी,
झाड़ के पात,
बिसर गई टहनी,
करुण कथा जग से क्या कहनी,
कहीं है रंग, कहीं है राग,
कहीं है चंग, कहीं है फाग,
और धूसरित पात नाथ को,
टुक टुक देखे शाख विरहनि,
झाड़ के पात,
बिसर गई टहनी,
करुण कथा जग से क्या कहनी||
सुभद्राकुमारी चौहान की प्रसिद्ध कविताएं – जब तक मैं, मैं हूं
जब तक मैं, मैं हूं,
तुम तुम हो है,
जीवन में जीवन है,
कुछ नहीं छीन सकता,
तुमको मुझसे मेरे धन,
आओ मेरे हृदय कुंज मै,
निर्भय करो विहार,
सदा बंद रखूंगी,
मैं अपना अंतर का द्वार,
नहीं लांछना की लपटें,
प्रिय तुम तक जाने पाएगी,
पीड़ित करने तुम्हें,
वेदनाये ना वहां आएगी,
अपने उछ्वासो से मिश्रित,
कर आंसू की बूंद,
शीतल कर दूंगी,
तुम प्रियतम सोना आंखें मूंद,
जगने पर पीना छक छककर,
मेरा मदिरा की प्यारी,
एक बूंद भी शेष ना रहने देना,
करना पूरा खाली,
नशा उतर जाए फिर भी,
बाकी रह जाए खुमारी,
रह जाए लाली आंखों में,
स्मृतियाँ प्यारी प्यारी||
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