Top 5 Ramdhari Singh Dinkar Poems in Hindi

Famous Ramdhari Singh Dinkar Poems

Ramdhari Singh Dinkar Poems in Hindi : सुप्रभात दोस्तों! आज हमने इस आर्टिकल में महशूर छायावाद कवी रामधारी सिंह दिनकर की कविताये को सम्मिलित किया है| इससे पहले हमने महशूर कवी Makhanlal Chaturvedi Ki Kavitao पर लेख लिखा था|

रामधारी सिंह दिनकर का परिचय – रामधारी जी प्राचीन समय के बेहद लोकप्रिय, महशूर, और जने-माने कवियों में से एक थे| उनका जन्म 23 सितम्बर 1908 में हुआ था और उनकी मृत्यु 24 अप्रैल 1974 में हुई थी| रामधारी सिंह दिनकर की कविताएँ क्रांति और बहादुरी की भावना से सम्पूर्ण होती थी, उनकी कविताओं में इतना ताकत और शक्ति होती थी की उन्हें पढ़के कोई भी व्यक्ति निराशावाद से आशावाद की और आ सकता है| हमने इस लेख में उनकी कुछ बेहद चर्चित और प्रसिद्ध कविताएँ आपके समक्ष प्रस्तुत की है|

5 Ramdhari Singh Dinkar Poems in Hindi

Ramdhari Singh Dinkar Famous Poems in Hindi – परशुराम की प्रतीक्षा

गर्दन पर किसका पाप वीर, धोते हो?
शोणित से तुम किस का कलंक, धोते हो?

उनका, जिनमे कारुण्य असीम तरल था,
तारुण्य ताप था नहीं, न रंच गरल था,
सस्ती सुकृति पर कर जो फूल गए थे,
निर्वीय कल्पनाओं में भूल गए थे,

गीता में जो त्रि-पिटक निकाय पढ़ते हैं,
तलवार गला कर जो तकली गढ़ते है,
शीतल करते हैं अनल प्रबुद्ध प्रजा का,
शेरों को सिखलाते हैं धर्म अजा का,

सारी वसुंधरा में गुरु-पद पाने को,
प्यासी धरती के लिए अमृत लाने को,
जो संत लोग सीधे पाताल चले थे,
(अच्छे हैं अब – पहले भी बहुत भले थे)

हम उसी धर्म की लाश यहां धोते हैं,
शोणित से संतों का कलंक धोते हैं||

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Ramdhari Singh Dinkar Best Poem – बापू

संसार पूजता जिन्हें तिलक,
रोली, फूलों के हारो से,
मैं उन्हें पूजता आया हूँ,
बापू, अब तक अंगारों से,

अंगार विभूषण यह उनका,
विद्युत, पीकर जो आते हैं,
ऊँघती शिखाओ की लौ में,
चेतना नहीं भर जाते हैं,

उनका किरीट जो भंग हुआ,
करते प्रचंड हूँकारों से,
रोशनी छिटकती है जग में,
जिनके शोणित के धारो से,

झेलते वहिन के वारो को,
जो तेजस्वी बन वहीं प्रखर,
सहते ही नहीं दिया करते,
विष का प्रचंड विष के उत्तर,

अंगार हार उनका की मृत्यु ही,
जिनकी आग उगलती है,
सदियों तक जिनकी सही,
हवा के वक्षस्थल पर जलती है,

पर तू इन सबसे परे, देख,
तुझको अंगार लजाते हैं,
मेरे उद्वेलित जलित गीत,
सामने नहीं हो पाते हैं||

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रामधारी सिंह दिनकर की कविता – चाँद और कवी

रात यों कहने लगा मुझसे गगन का चांद,
आदमी भी क्या अनोखा जीव है,
उलझनें अपनी बनाकर आप ही फंसता,
और फिर बेचैन हो जगता ना सोता है…

जानता है तू कि मैं कितना पुराना हूँ,
मैं चुका हूं देख मनु को जनमते मरते,
और लाखों बार तुझसे पागलों को भी,
चांदनी में बैठ स्वप्नों पर सही करते,

आदमी का स्वप्न है, वह बुलबुला जल का,
आज उठता और कल फिर फूट जाता है,
किंतु फिर भी धन्य ठहरा आदमी ही तो,
बुलबुलों से खेलता, कविता बन जाता है,

मैं न बोला किंतु मेरी रागिनी बोली,
देख फिर से चांद मुझको जानता है तू,
स्वप्न मेरे बुलबुले हैं? है यही पानी?
आग को भी क्या नहीं पहचानता है तू?

मै न वह जो स्वप्न पर केवल सही करते,
आग में उसको गला लोहा बनाता हूं,
और उस पर नींव रखता हूं नए घर की,
इस तरह दीवार फौलादी उठाता हूं,

मनु नहीं मनु पुत्र है, यह सामने जिसकी,
कल्पना की जीभ में भी धार होते ही,
वाण ही होते विचारों के नहीं केवल,
स्वप्न के भी हाथ में तलवार होती है,

सम्राट स्वर्ग के सम्राट को जाकर खबर कर दे,
रोज ही आकाश चढ़ते जा रहे हैं वे,
रोकिये जैसे बने इन स्वप्न वालों को,
स्वर्ग की ओर बढ़ते आ रहे हैं वे|

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रामधारी सिंह दिनकर की कविताएं – कुरुक्षेत्र

भगवान सभा को छोड़ चले,
करके रण गर्जन घोर चले,
सामने कर्ण सकुचाय सा,
आ मिला चकित भरमाया सा,

हरि बड़े प्रेम के कर धर कर,
ले चढ़े उसे अपने रथ पर,

रथ चला परस्पर बात चली,
शम-दम की टेढ़ी घात चली,
शीतल ओ हरी ने कहा हाय,
अब शेष नहीं कोई उपाय,

हो विश्व हमे धनु धरना है,
क्षत्रिय समूह को मरना है,

मैंने कितना कुछ कहा नहीं,
विश्व व्यंग कहां तक सहा नहीं,
पर दुर्योधन मतवाला है,
कुछ नहीं समझने वाला है,

चाहिए उसे बस रण केवल,
सारी धरती की मरण केवल||

रामधारी सिंह दिनकर पोएम – मेरे देश के नौजवान

घटा फाड़कर जगमगाता हुआ,
आ गया देख ज्वाला का बाण,
खड़ा हो जवानी का झंडा उड़ा,
ओ मेरे देश के नौजवान,

सहम करके चुप हो गए थे समुंदर,
अभी सुनके तेरे दहाड़,
जमीन हिल रही थी, जहां हिल रहा था,
अभी हिल रहे थे पहाड़,

अभी क्या हुआ? किसके जादू ने आकार से,
शेरों की सी दी ज़बान?
खड़ा हो जवानी का झंडा उड़ा,
ओ मेरे देश के नौजवान,

खड़ा हो की पश्चिम के कुचले हुए लोग,
उठने लगे ले मशाल,
खड़ा हो कि पूरब की छाती से भी,
फूटने का है ज्वाला कराल!

खड़ा हो की फिर फूंक विष की लगा,
घुरजटी ने बजाया विषान,
खड़ा हो जवानी का झंडा उड़ा,
ओ मेरे देश के नौजवान,

गरजकर बता सबको मारे किसी के,
मरेगा नहीं हिंद-देश,
लहू की नदी तैरकर आ गया है,
कहीं से कहीं हिंद-देश,

लड़ाई के मैदान में चल रहे लेके,
हम उसका उड़ता निशान,
खड़ा हो जवानी का झंडा उठा,
ओ मेरे देश के नौजवान||

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Hindipool: Rahul हिंदी ब्लॉग इंडस्ट्री के प्रमुख लेखकों में से एक हैं, इनकी पढ़ाई-लिखाई, टेक्नोलॉजी, आदि विषय में असीम रूचि होने के कारण, इन्होने ब्लोग्स के जरिये लोगो की मदद करके अपना करियर बनाने का एक अनोखा एवं बेहतरीन फैसला लिया है|